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छात्रों को क्यों बनना पढ़ता है रोजाना शिक्षक, पढ़ें पूरी खबर

बालाघाट. स्कूल चले हम अभियान के साथ ही नए शैक्षणिक सत्र की शुरूआत हो गई है। लेकिन आदिवासी अंचलों में शिक्षकों की लापरवाही का नजारा अभी से नजर आने लगा है। आलम यह है कि गुरुजियों की अनुपस्थिति में छात्र को ही शिक्षक बनकर बच्चों को पढ़ाना पड़ रहा है।
शुक्रवार को भी ऐसा ही नजारा ग्राम पंचायत चिचगांव के प्राथमिक शाला में देखने को मिला।
चिचगांव प्राथमिक शाला का मामला
जानकारी के अनुसार बिरसा मुख्यालय से करीब 12 किमी दूर ग्राम पंचायत चिचगांव के प्राथमिक शाला में सुबह 10 बजे से स्कूल खुल गया था। यहां समय पर बच्चे स्कूल भी पहुंच गए थे। सुबह करीब 10.30 बजे बगैर शिक्षक के ही बच्चों ने राष्ट्रीय गीत गाकर अपने-अपने कक्ष में पहुंच गए। यहां 11 बजे तक कोई भी शिक्षक नहीं पहुंचे थे। ऐसी स्थिति शाला में आए दिन बनी रहती है।
एक कमरे में लग रही दो कक्षाएं
इस शाला में एक ही कमरे में दो कक्षाएं जिसमें चौथी और पांचवी की कक्षा शामिल है। जबकि एक अन्य कमरे में पहली से लेकर तीसरी तक की कक्षाएं संचालित हो रही है। इस पूरे शाला में करीब 45-50 बच्चे शामिल है। इन बच्चों के लिए दो शिक्षिका और एक शिक्षकों को शाला में पदस्थ किया गया है।
कार्रवाई की मांग
इधर, अभिभावकों ने समय पर शाला नहीं पहुंचने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई किए जाने की मांग भी की है। ग्रामीणों का कहना था कि शिक्षकों का रोजाना इसी तरह का रवैया बना हुआ है। वे समय पर शाला नहीं पहुंचते हैं। जिसके कारण बच्चों का भविष्य अंधकार मय हो सकता है। ऐसे दोषी शिक्षकों पर कार्रवाई किया जाना चाहिए।
जांच करवाई जाएगी
जनशिक्षक को भेजकर मामले की जांच कराई जाएगी। जांच में जो तथ्य आएंगे, उसके अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई अवश्य की जाएगी।
-हेमंत राणा, बीआरसी, जनशिक्षा केन्द्र बिरसा

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