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एक साल पहले खोले गए 19 नए हाईस्कूल, शिक्षकों का अभी तक अता-पता नहीं

मुरैना। कैलारस के रजौधा गांव व सुमावली के उम्मेदगढ़ बांसी जैसे 19 गांवों में शिक्षा विभाग ने पिछले साल 19 नए हाई हाईस्कूल खोले थे। इनमें से अधिकतर स्कूलों को मिडिल स्कूल से अपग्रेड कर हाईस्कूल बनाया था। स्कूल बनने के एक साल बाद भी इन स्कूलों में शिक्षकों की विषयों के हिसाब से पोस्टिंग नहीं हो पाई है।
ऐसे में इन स्कूलों में 9 वीं व 10 वीं के छात्रों को पढ़ाने वाला कोई नहीं है। मिडिल स्कूल के शिक्षक ही कुछ पढ़ा दें तो ठीक है अन्यथा इन छात्रों को भगवान भरोसे ही पढ़ाई करनी पड़ती है।
उल्लेखनीय है कि शिक्षा विभाग ने 2016 के शिक्षण सत्र की शुरुआत में मिडिल स्कूलों का उन्नयन कर हाईस्कूल बना दिया। लेकिन इनमें शिक्षकों की व्यवस्था नहीं की थी। शिक्षा विभाग ने स्कूलों का उन्नयन तो कर दिया और बच्चों को प्रवेश भी दिया है। लेकिन अभी तक शिक्षकों को तैनात करने का कोई प्लान तैयार नहीं किया है। ऐसे में आसानी से समझा जा सकता है कि इन स्कूलों में प्रवेश लेने वाले बच्चों की पढ़ाई आगामी किस तरह होती होगी।
कहीं इंग्लिश मीडियम के स्कूलों जैसा हो रहा है हाल
शासन ने दो साल पहले पिछले साल हर ब्लॉक में एक इंग्लिश मीडियम स्कूल खोला था। लेकिनअभी तक शिक्षा विभाग तक भी इन स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों की नियुक्ति शिक्षा विभाग नहीं कर पाया। ऐसे में इन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को दूसरे स्कूलों की शरण लेनी पड़ी। इसलिए लोग कयास लगा रहे हैं कि जिले में जो पिछले साल जो 19 हाइस्कूल खोले गए हैं, उनका भी हाल ऐसा ही न हो जाए।
अभी तक शिक्षकों की नियुक्ति का नहीं किया है प्लान
- स्कूलों का उन्नयन करने के पहले व बाद में अभी तक शिक्षा विभाग ने इन स्कूलों में विषय वार शिक्षक पदस्थ करने की कोई योजना नहीं बनाई । आलम यह है कि बिना शिक्षक पदस्थ किए ही इन स्कूलों को शुरू कर दिया है। ऐसे में समझ में आ सकता है कि स्कूलों में पढ़ाई कैसे होगी।
- जितने भी हाईस्कूल खोले गए हैें, उनमें विषय वार कितने शिक्षक चाहिए। इस बात की भी जानकारी विभाग के पास नहीं है। साथ ही शिक्षकों को तैनात करने की अभी तक कोई योजना नहीं है। इसलिए इस शिक्षण सत्र में छात्र परेशान होंगे।
भवन भी नहीं हैं हाईस्कूलों के पास
शिक्षा विभाग ने स्कूलों को शुरू तो कर दिया। लेकिन एक भी स्कूल के पास स्वयं का भवन नहीं है। सभी स्कूल मिडिल स्कूल के भवन में ही चल रहे हैं। यानी बिना तैयारी के ही स्कूल खोल दिए गए थे। यहां तक अभी तक हाईस्कूल के भवनों के लिए कितना बजट चाहिए और कितनी जगह चाहिए। इसका भी प्लान विभाग पिछले एक साल में तैयार नहीं किया है।
कैसे मिलेगी शिक्षा
- शासन के नियमानुसार हर हाईस्कूल व हायरसेकंडरी स्कूल में प्रयोगशाला होना चाहिए। लेकिन इन स्कूलों में अभी कोई प्रयोगशाला नहीं है। जबकि निजी स्कूलों को मान्यता विभाग तब देता है जब सभी व्यवस्थाएं होती हैं।
- विभाग की मानें तो जब तक नए शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होती है तब तक इन स्कूलों में मिडिल स्कूल के शिक्षक ही छात्रों को अध्ययन कराएंगे। जबकि हाईस्कूल व हायरसेकंडरी स्कूलों के लिए शिक्षकों की योग्यता अलग होती है।
क्या होगा असर
- जो बच्चे इन स्कूलों में प्रवेश लेंगे। उन्हें पढ़ाई के दौरान संघर्ष करना पड़ेगा। योग्य शिक्षकों के अभाव में बच्चों को या तो ट्यूशन लगाना पड़ेगा या फिर इस स्कूल से नाम कटवाकर दूसरे स्कूल में प्रवेश लेना पड़ेगा।
- चूंकि अन्य हाईस्कूल व हायरसेकंडरी स्कूल दूर दूर हैं। ऐसे में छात्रों को दूर पढ़ने के लिए जाना पड़ेगा। इससे उन्हें अपने गांव में हाईस्कूल होने का कोई फायदा नहीं मिल पाएगा।
इनका कहना है
जिले में पिछले साल जितने भी हाईस्कूल खोले गए थे। उनमें शिक्षकों को तैनात करने के लिए प्लान बना रहे हैं। इस सत्र में इन स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति हो जाएगी। साथ ही स्कूलों के भवन के लिए भी प्रस्ताव शासन को भेजा है। बजट मिलने के बाद भवनों को बनाने का काम शुरू होगा।
एमएस तोमर, प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी, मुरैना

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