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प्रतिभा पर्व के दिन घूमते दिखे शिक्षक, विकास खण्ड कुसमी की शिक्षा व्यवस्था लचर

सीधी, पलपल इंडिया सवांददाता. कुसमी विकास खण्ड की शिक्षा व्यवस्था लचर देखी जा रही है.यह विकास खण्ड आदिवासी विकास खण्ड है जिससे यहाँ की शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार दोनो से भारी बजट इस विकास खण्ड क्षेत्र मे भेजा जा रहा है.
पर कर्मचाररियो की उदासीनता के चलते यहाँ की शिक्षा व्यवस्था चरमराई हुई है.
न तो खण्ड स्तरीय अधिकारियों द्वारा कभी निरीक्षण किया जा रहा है और न ही कभी कोई भी शिक्षको पर आज तक कोई किसी तरह की कार्यवाही हो रही है.आलम शिक्षा का ऐसा हो गया है कि छात्रो से अगर विषय से संबंधित प्रश्न पूछे तो पता चलता है अभी तक छात्रो को किताब चलाना ही नही आ रहा है जब छात्रो को हिन्दी की विषय मे काफी दिक्कतें आ रही है तो अग्रेजी गणित संस्कृत कैसे आती होगी यह समझदार के लिये काफी है.
क्षेत्र के कुछ ऐसे विद्यालय है जिनमे अतिथि शिक्षक के भरोसे विद्यालय संचालित हो रहे है और शिक्षक बाजार मे कर्मचारियो से दस्तावेज की जानकारी लेते देखे जा रहे है 11से12बजे का आलम ऐसा दिखता है कि शिक्षको का बाजार ही लगा है.हद तो तब हो गई जब प्रतिभा पर्व तक के दिन शिक्षक 12बजे तक घूमते देखे गये.
तब निवासियों ने भी यह माना की शिक्षको की निगरानी के लिए जिले से अधिकारी निरीक्षण नही करते जिससे बिकाश खण्ड मे ऐसे आलम देखने को मिल रहे है.और अगर इनके विद्यालय आने जाने पढाने का निरीक्षण कर कार्यवाही नही कि गई तो आदिवासी छात्रो का भविष्य अंधकारमय हो जायेगा.शासन से भेजी गई कडोरो की राशि बरबाद हो जायेगी.
दिख रही शिक्षको की लापरवाही
विकास खण्ड कुसमी मे जिम्मेदार प्राचार्य शिक्षको की इतनी लापरवाही इन दिनो देखने को मिल रही है.कि तमाम जनशिक्षा केन्द्रों मे कई प्रमुख विद्यालयो मे जो कम्प्यूटर शासन से उपलब्ध कराया गया है उसका उपयोग नही किया जा रहा है और क्षेत्र के सभी शिक्षक जानकारी के लिए बी आर सी के चक्कर लगाते देखे जा रहे है कहना मात्र एक ही सुना जा रहा सिर्फ जानकारी की लेन देन के लिए परेशान है. तमाम कम्प्यूटर उपलब्ध होने पर भी कभी उन्हे चलाया नही जा रहा है.कुछ हालत ऐसे है कि शिक्षा विभाग के बाबूओ से तक कम्प्यूटर चलाना नही आता बाबू बेतन बनाने के लिये शिक्षको से पैसे की उगाही करते है तब वेतन प्राइवेट दुकानदार से वन पाता है.
नही हो रहा शौचालय का उपयोग
विकास खण्ड की 80प्रतिशत विद्यालय ऐसी है जहां शौचालय का उपयोग होता नही देखा जा रहा है सूत्र बताते है कि कही पानी की समस्या है कही शौचालय के अंदर पानी नही पहुंच रहा है कही के बोर बंद पडे है तो कही गंदे शौचालय होने से बच्चे उसके अंदर जाने से हिचकिचा रहे है.विभागीय सूत्र बताते है कि शासन से सफाई कर्मचारी के लिये राशि नही आ रही है जिससे व्यवस्था अव्वस्थित हो रही है.इससे शौचालय का उपयोग कम हो पा रहा है.
प्रतिभा पर्व के परीक्षा की जाच जरूरी

शिक्षक आधे समय मे विद्यालय पहुँच रहे है कुछ तो बस से आते है और पुनरू वापस चले जाते है और अधिकारी कोई कर्यावाही नही करते ऐसे शिक्षक जब छात्रो को शिक्षा दी हि नही तो बच्चे किस तरह से परीक्षा दे सकते है.जब किताब ही चलाना नही सिखाया तो बच्चे पर्व मे क्या लिखेंगे इस परीक्षा की बिधिवत जाच जिले से होनी चाहिए अन्यथा शिक्षक परीक्षा मे हीला हवाली करके छात्रो को उत्त्रीर्ण करने मे सारी ताकते लगा देगे. जाच पर ही कई उनकी उपस्थिति एबिषयो की पढाईए की पोल खुल सकती है.   

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