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नए जनशिक्षकों की नियुक्ति के बाद अगर काउंसलिंग प्रक्रिया की होती तो उनके स्कूल में हम पढ़ा पाते

भास्कर संवाददाता | धार मांडू रोड स्थित आवासीय विद्यालय में मूल विभाग में लौटाए गए पूर्व जनशिक्षकों ने काउंसलिंग का विरोध कर दिया। अधिकतर ने अपने पसंदीदा स्कूल का चयन करने से इंकार कर दिया। उनका कहना था-नए जनशिक्षकों की नियुक्ति जल्द की जाना है। शिक्षक ही जनशिक्षक बनेंगे।
उनके पद खाली होंगे। नई नियुक्ति की प्रक्रिया के बाद यदि काउंसलिंग की जाती तो हमें दूरस्थ अंचल के स्कूलों के बजाय अन्य सुगम स्कूल मिल जाते लेकिन नई नियुक्ति के पूर्व ही काउंसलिंग रख दी गई, जिससे हमें रिक्त पदों के विकल्प कम मिले।

विरोध का समर्थन करते हुए तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ जिलाध्यक्ष कैलाश चौधरी ने कहा-90 कर्मचारी हैं, जो पूर्व में जनशिक्षक थे और आदिवासी विकास विभाग में पदस्थ होने के बावजूद सर्व शिक्षा अभियान में सेवाएं दे रहे थे। 1 अक्टूबर से उनकी प्रतिनियुक्ति खत्म कर मूल विभाग में वापस भेज दिया है। अब विभाग काउंसलिंग के जरिये उन्हें खाली पदों पर पदस्थ कर रहा है, जिसमें शुक्रवार को विकल्प भरने थे प्रक्रिया दूषित है। कई संकुलों के रिक्त पद बताए नहीं हैं। अटैचमेंट में न मूल संस्था न अटैच संस्था में रिक्त पद बताया है। नई नियुक्ति का इंतजार भी नहीं किया, जिससे उस दौरान रिक्त होने वाले पदों का लाभ भी नहीं मिला। यह शिक्षकों को दूरस्थ इलाकों में भेजने की योजना के तहत किया जा रहा है।

काउंसलिंग जब की जाना है, तब ही के रिक्त पदों पर पदस्थापना दी जा सकती है। सर्व शिक्षा अभियान की नई नियुक्ति प्रक्रिया का इंतजार नहीं कर सकते। ब्रजेश पांडेय, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग

नई नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण होने में 10 से 15 दिन लग सकते हैं। लंबी प्रक्रिया के चलते देरी हुई है। शिक्षक दूरस्थ इलाकों में जाना नहीं चाहते। शहर में ही 59 शिक्षक आवश्यकता से अधिक हैं। कोई गांवों में नहीं जाएगा तो वहां पढ़ाई कैसे होगी। मंगलेश व्यास, डीपीसी सर्व शिक्षा अभियान
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