आगर-मालवा.शिकायत
के निराकरण करने में शिक्षा विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग एवं
राजस्व विभाग के अधिकारी रुचि नहीं दिखा हैं। कुछ अधिकारियों को एल-1 एवं
एल-2 स्तर की शिकायतों का निराकरण करना था लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई
नहीं की, जिससे शिकायतें एल-3 व एल-4 स्तर पर चली गई। ऐसे अधिकारियों को
सूचीबद्ध कर तथ्यात्मक कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया जाए। शिकायतों के
निराकरण प्राथमिकता के साथ करें। अन्यथा निलंबन के लिए तैयार रहें।
यह
बात कलेक्टर डीवी सिंह ने सोमवार को कलेक्टोरेट में आयोजित समयावधि पत्रों
की समीक्षा बैठक में सीएम हेल्पलाइन की समीक्षा कर नाराजगी जाहिर करते हुए
संबंधित अधिकारियों को कही। इस अवसर पर जिला पंचायत सीईओ राजेश शुक्ल,
एडीएम संघमित्रा गौतम, संयुक्त कलेक्टर रंजना मुजाल्दे, डिप्टी कलेक्टर
वर्षा भूरिया, केएल यादव, एसडीएम आगर, मिलिंद ढोके, एसडीएम सुसनेर जीएस
डावर सहित अन्य विभागों के अधिकारी उपस्थित थे। कलेक्टर ने स्व-रोजगार
योजनांतर्गत समीक्षा में पाया कि प्रकरण बैंक ने स्वीकृत कर दिए हैं।
कलेक्टर ने नाराज होते हुए सख्त लहजे में कहा कि स्व-रोजगार योजनांतर्गत
पात्र हितग्राहियों के प्रकरण वितरण करने के अलावा कोई अन्य बात नहीं करें।
20 अक्टूबर तक सभी स्वीकृत प्रकरण वितरित करें।
अब होगी सख्त कार्रवाई
शासकीय
कर्मचारियों के घरों में शौचालय निर्माण करने की जानकारी उपलब्ध नहीं
कराने पर कलेक्टर ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि बार-बार निर्देश के
बावजूद भी जानकारी उपलब्ध न कराना घोर आपत्तिजनक है। जानकारी तीन दिन में
प्रस्तुत नहीं की गई, तो संबंधित अधिकारी के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की
जाएगी। उन्होंने निर्देश दिए कि जन शिक्षकों एवं बीईओ, बीआरसी जिनका कार्य
संतुष्टि कारक नहीं हैं एवं निष्क्रिय हैं। उनको तत्काल हटाएं तथा उनकों
स्कूलों में शिक्षण कार्य में लगाया जाए। जिला शिक्षा केन्द्र अंतर्गत
पदस्थ संविदा के सब इंजीनियरों द्वारा मॉनीटरिंग न करने के कारण निर्माण
कार्य अधूरे हैं। ऐसे सब इंजीनियरों की संविदा अवधि समाप्त करने की
कार्रवाई की जाएगी।
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