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फर्जीवाड़ा करने वाले सीईओ-बीईओ पर एफआईआर

जबलपुर। अपात्र होने के बावजूद फर्जी दस्तावेज पेश करने वाली परिचित युवती को शिक्षा विभाग में नौकरी दिलाने वाले मझौली जनपद पंचायत के पूर्व सीईओ और बीईओ के खिलाफ पुलिस ने षड्यंत्रपूर्ण धोखाधड़ी का अपराध दर्ज किया है। पुलिस के अनुसार आरोपियों ने विभागीय आदेश के बावजूद 3 साल तक युवती पर कार्रवाई नहीं की जिससे शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचा।

मझौली पुलिस ने बताया कि 15 अक्टूबर को जिला शिक्षा अधिकारी सतीश कुमार अग्रवाल ने शिकायत दी थी कि तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत मझौली मूंगाराम मेहरा और तत्कालीन विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी चंद्रभान तिवारी ने मंजूलता दुबे की संविदा शाला शिक्षक वर्ग-3 में नियुक्ति की थी। शिकायत जांच शुरू की गई जिसमें मंजूलता दुबे की शैक्षणिक अंक सूची और अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए थे। प्रकरण को लोकायुक्त संगठन संभागीय सतर्कता समिति ने जांच करते हुए दोनों अधिकारियों को दोषी पाया था। विभागीय जांच में चंद्रभान तिवारी को दोषी मानते हुए 2 वर्ष की वेतन वृद्धि रोकने की सजा दी जा चुकी है। लोकायुक्त संगठन भोपाल के निर्देश पर लोक शिक्षण संचालनालय ने 20 सितम्बर 2016 को आदेशित किया कि मंजूलता दुबे संविदा शाला शिक्षक वर्ग 3 के अपात्र होते हुए भी 3 साल तक वेतन लेती रही जिससे शासकीय धन का अपव्यय हुआ। लिहाजा मंजूलता से वेतन की राशि वसूली जाए। इसके अलावा सेवा समाप्ति में 3 वर्ष का समय लगने के लिए दोषी अधिकारियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए। पुलिस ने शिकायत पत्र तथा संलग्न दस्तावेजों के आधार पर मूंगाराम मेहरा एवं चंद्रभान तिवारी के खिलाफ धारा 420, 409, 120 बी, 34 का अपराध दर्ज कर प्रकरण को विवेचना में लिया है।

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