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अतिथि शिक्षकों को 3 माह से नहीं मिला वेतन, छुट्टी लेकर काट रहे हैं सोयाबीन

भास्कर संवाददाता| नरसिंहगढ़ जिले के किसी भी सरकारी स्कूल में पिछले 3 महीनों से अतिथि शिक्षकों को मानदेय नहीं मिला है। इससे कई अतिथि शिक्षकों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कई अतिथि शिक्षक तो अपने परिवार का गुजारा चलाने के लिए खेतों में सोयाबीन काटने की मजदूरी भी कर रहे हैं।
खिलचीपुर ब्लॉक के अतिथि शिक्षकों जगदीश दांगी, रामरतन दांगी का कहना है कि अगर शिक्षा विभाग के भरोसे बैठे रहे तो हमारे घरों में बच्चे भूख से बिलबिला उठेंगे। हमें पता है कि हमारी मदद के लिए कोई आगे नहीं आएगा। इसलिए खेतों में जाकर काम कर रहे हैं। अतिथि शिक्षक संघ अपनी परेशानियों की जानकारी कई बार स्थानीय प्रशासन, शिक्षा विभाग और डीईओ को दे चुके हैं। लेकिन कोई इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है। बता दें कि ज्यादातर सरकारी स्कूलों में पिछले कई सत्रों से अतिथि शिक्षक ही पढाई की व्यवस्था संभाल रहे हैं। इसके बदले उन्हें बेहद मामूली यानी 3 से 5 हजार रुपए के बीच मासिक मानदेय मिलता है। ज्यादातर अतिथि शिक्षकों को इसी मानदेय से अपने पूरे परिवार का गुजारा चलाना पड़ता है।

अपने ही विभाग की उपेक्षा झेलनी पड़ती है: अतिथि शिक्षकों पर हर तरफ से मार पड़ रही है। नियम के मुताबिक उन्हें केवल कुछ पीरियड पढ़ाने होते हैं। लेकिन स्कूल प्रबंधन उनसे नियमित शिक्षकों की तरह ही पूरा काम लेते हैं। उन्हें अतिरिक्त प्रभार भी दिए जाते हैं और उनके वेतन से हर महीने बेवजह राशि भी काटी जाती है। अगले सत्र में कहीं पढ़ाने का मौका ही हाथ से न छिन जाए, इस डर से अतिथि शिक्षक अपने साथ हुए अन्याय का विरोध भी नहीं कर पाते हैं। कई जगहों पर ऐसा हुआ भी तो उन्हें बीच सत्र में ही अनुशासनहीनता का आरोप लगाकर काम से हटा दिया गया। असल में शिक्षा विभाग के आदेश में एक पतली गली अतिथि शिक्षकों के खिलाफ पहले ही रख दी गई। जिसमें साफ लिखा है कि अगर स्कूल की कमेटी अतिथि शिक्षक की कार्यप्रणाली, पढ़ाने के तरीके या व्यवहार से असंतुष्ट है तो सत्र के बीच में भी उसे काम से हटाया जा सकता है। इसी का फायदा उठाकर अतिथि शिक्षकों का शोषण किया जाता है। यही नहीं, नियमित शिक्षकों और अतिथियों के बीच की खाई भी चौड़ी है। हालांकि अतिथि शिक्षकों को नियमित शिक्षकों के वेतन का 10वां भाग भी नहीं मिलता है। इसके बावजूद उनसे बराबरी से काम तो लिया ही जाता है। साथ ही उन्हें हेय दृष्टि से भी देखा जाता है। जबकि यह बड़ा सच है कि अगर स्कूलों से अतिथि शिक्षकों को हटा दिया जाए तो पूरी शिक्षा व्यवस्था एक ही बार में लडख़ड़ा जाएगी।

मानदेय के नाम पर संबंधित अधिकारी मांग रहे रिश्वत

अतिथि शिक्षकों की हालत बेहद खराब है। किसी से अपनी परेशानी नहीं कह सकते। स्कूलों से हमेशा उन्हें हटाने की गाज सिर पर लटकी रहती है। कुछ ब्लॉकों से यह भी शिकायत आई है कि अतिथि शिक्षकों का मानदेय निकालने के नाम पर संबंधित अधिकारी रिश्वत मांग रहे हैं। अब तक अतिथियों का मानदेय नहीं मिलने की कोई साफ वजह भी नहीं है। जबकि विभाग के पास भरपूर बंटन है। अगर बंटन में कमी होती तो नियमित शिक्षकों और स्टाफ के दूसरे सदस्यों का भी वेतन रुकता। लेकिन उन्हें हर महीने वेतन मिल रहा है। सत्येंद्र नागर, जिलाध्यक्ष मप्र अतिथि शिक्षक संघ राजगढ़
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