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प्री-टेस्ट का औसत रिजल्ट 20 से 30 फीसदी, गणित-विज्ञान और अंग्रेजी की अलग से लगेंगी कक्षाएं

भोपाल। नवदुनिया न्यूज प्रदेश के सरकारी हाई स्कूल और हायर सेकंडरी कक्षाओं में हुए प्री-टेस्ट का औसत परीक्षा परिणाम 20 से 30 प्रतिशत ही आया है। ज्यादातर छात्र इंग्लिश, विज्ञान और गणित में कमजोर साबित हुए। इन परिणामों ने स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों की नींद उड़ा दी है।
इसके चलते विभाग वार्षिक परीक्षा में रिजल्ट सुधारने की रणनीति के तहत अगले माह से गणित, विज्ञान और अंग्रेजी की विशेष कक्षाएं (रेमिडियल क्लासेस) लगाने जा रहा है।
स्कूलों की मैपिंग की गई
स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों ने बताया कि जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, वहां आसपास के सरकारी स्कूलों की मैपिंग की गई है। ये ऐसे स्कूल हैं, जहां संबंधित विषय के शिक्षक मौजूद हैं। मसलन, अगर किसी स्कूल में गणित के शिक्षक हैं पर अंग्रेजी के नही हैं व दूसरे स्कूल में अंगे्रजी के शिक्षक हैं और गणित के नहीं हैं तो ऐसी दशा में दोनों स्कूल साझेदारी कर सकते हैं। ऐसे में शिक्षकों को तीन दिन अपने स्कूल में और तीन दिन दूसरे स्कूल में अपनी सेवाएं देना होंगी।
प्राचार्यों को देनी होगी जानकारी
नवंबर से यह व्यवस्था शुरू कर दी जाएगी। इसके साथ ही प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को अपने-अपने जिलों में स्कूल के प्राचार्यों को रिमेडियल क्लास और नई व्यवस्था के बारे में जानकारी देना होगी। प्रत्येक विषय की रिमेडियल क्लास के लिए कम से कम एक घंटे का पीरियड लगेगा।
कन्या स्कूलों में पहले पीरियड
कन्या स्कूलों में रिमेडियल क्लासेस स्कूल लगने की शुरुआत में ही लगाई जाएंगी। इसकी मुख्य वजह है कि शाम को कक्षा लगाने से ठंड में सूरज जल्दी ढलता है। इस कारण सुरक्षा की दृष्टि से ऐसा किया जाएगा। रेमिडयल कक्षाएं पूरे नवंबर में लगेंगी।
जिला स्तरीय टीम
स्कूलों में रिमेडियल कक्षाएं लग रही हैं या नहीं इसकी जांच के लिए जिला शिक्षा अधिकारी को टीम गठित करना होगी जो स्कूलों का औचक निरीक्षण करेगी। निरीक्षण दल दिन-प्रतिदिन की स्थिति लोक शिक्षण संचालनालय भी भेजेंगे।
प्राचार्य करेंगे भुगतान
लोक शिक्षण संचालक एके दीक्षित के मुताबिक ऐसे शिक्षक, जिनकी ड्यूटी अपनी पदस्थापना अन्यत्र क्षेत्र या गांव में लगाई जाएगी उन्हें आने जाने का खर्च के साथ न्यूूनतम दस दिन के अध्यापन कार्य के लिए एक हजार रुपए रिमेडियल टीचिंग मद से दिए जाएंगे। भुगतान उस प्राचार्य द्वारा किया जाएगा जहां शिक्षक पढ़ाने के लिए जाएंगे।
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