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पिछले दरवाजे से सरकारी स्कूलों का निजीकरण !

भोपाल। ब्यूरो। शिक्षा विभाग अब पिछले दरवाजे से सरकारी स्कूलों के निजीकरण की तैयारी में है। मप्र सरकार को हर जिले में अंग्रेजी मीडियम के पांच स्कूल खोलने हैं। लोक शिक्षण संचालक नीरज दुबे ने प्रस्ताव दिया है कि ये अंग्रेजी मीडियम स्कूल पीपीपी मोड पर खोले जाएं, ताकि इनकी सुविधाएं, पढ़ाई की गुणवत्ता और आधारभूत ढांचे में ये स्कूल निजी स्कूलों से मुकाबला कर सकें।

राज्य सरकार ने फैसला किया था कि हर जिले में अंग्रेजी मीडियम के पांच स्कूल खोले जाएंगे। यह तय किया गया था कि ये स्कूल मौजूदा आधारभूत ढांचे में ही शुरू होंगे और मौजूदा शिक्षकों को ही अंग्रेजी मीडियम में पढ़ाने के लिए भेजा जाएगा।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों एक बैठक में स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों से इस योजना पर सलाह मांगी थी। लोक शिक्षण संचालक दुबे ने सरकार से कहा है कि ये अंग्रेजी मीडियम स्कूल मौजूदा सरकारी स्कूल के ढांचे की बजाय पीपीपी मोड पर खोले जाएं।
मौजूदा ढांचे में ही अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोलने से विभाग का पूरा फोकस अंग्रेजी मीडियम स्कूलों पर हो जाएगा और हिंदी मीडियम स्कूल उपेक्षित रहेंगे। सिस्टम और बिग़ड़ेगा सुझाव में दुबे ने कहा कि पहले ही हिंदी मीडियम के सरकारी स्कूलों की व्यवस्था अच्छी नहीं है।
शिक्षकों की कमी से लेकर गुणवत्ता और आधारभूत ढांचे में मप्र पिछड़ा है। ऐसे में यदि अंग्रेजी मीडियम स्कूलों के लिए इस व्यवस्था में दखलअंदाजी करेंगे तो अंग्रेजी मीडियम स्कूल ठीक से नहीं चला पाएंगे और हिंदी मीडियम स्कूल की व्यवस्था और बिगड़ जाएगी।लोक शिक्षण संचालनालय के इस प्रस्ताव पर अब सरकार को फैसला लेना है।
व्यवस्था का सवाल
सरकारी स्कूलों के निजीकरण का मसला अपनी जगह है, लेकिन मैंने यह प्रस्ताव इसलिए दिया है ताकि हिंदी मीडियम के स्कूलों से हमारा फोकस न हटे। कुछ अंग्रेजी मीडियम स्कूलों के लिए हम अपनी व्यवस्था नहीं बिगाड़ सकते।
- नीरज दुबे, संचालक, लोक शिक्षण संचालनालय
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