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3255 बच्चों पर सालाना 26 करोड़ सालाना खर्च

मंदसौर। जिला शिक्षा केंद्र द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में कम बच्चों वाले स्कूलों पर हो रहे भारी-भरकम खर्च का खुलासा हुआ है। 217 ऐसे स्कूल चिन्हित हुए हैं, जहां 20 या इससे कम बच्चे हैं और एक बच्चे पर औसत 6500 रुपए खर्च हो रहा है। इन स्कूलों के 3255 बच्चों व शिक्षकों पर सालाना 26 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी
शासन को अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे हैं। हालांकि शासन ने इन स्कूलों की सूची मंगवाई पर अगले सत्र में इन्हें बंद करने या पास के स्कूलों में समाहित करने जैसे कोई आदेश अभी तक जारी नहीं किए हैं।
जिले में कई हायर सेकंडरी और हाई स्कूल शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं, वहीं जिले के 217 प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं, वहां छात्र संख्या के मान से काफी अधिक 450 शिक्षक पदस्थ हैं। औसतन 15 बच्चों पर दो से तीन शिक्षक कार्य कर रहे हैं। अन्य स्कूलों की तरह इन स्कूलों में भी 70 हजार से 1 लाख रुपए प्रतिमाह तक खर्च हो रहा है। शहर के निजी स्कूलों में सभी खर्च जोड़कर प्राथमिक विद्यालय में अधिकतम 5 हजार रुपए प्रतिमाह खर्च आ रहा है। इससे ज्यादा खर्च 217 स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों पर सरकार कर रही है। इसके बावजूद परिणाम सकारात्मक प्राप्त नहीं हो रहे हैं।
कम से कम दो
शिक्षक हर स्कूल में
प्राथमिक विद्यालय में कम से कम दो शिक्षक होना अनिवार्य है। बसेर कॉलोनी प्राथमिक विद्यालय, बापू नगर प्राथमिक विद्यालय व इंदिरा कॉलोनी सहित अनेक स्कूलों में दो-दो शिक्षक पदस्थ है। कहीं तीन शिक्षक भी पदस्थ है। 217 स्कूलों में संविदा शिक्षकों की संख्या 50 से अधिक नहीं है। शहर में बसेर कॉलोनी प्राथमिक विद्यालय और इंदिरा नगर प्राथमिक विद्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद इस तरह के स्कूलों में अधिकांश दिन बच्चे स्कूल पहुंचते ही नहीं हैं। प्रतिभा पर्व और हाथ धुलाई दिवस जैसे कार्यक्रमों में भी प्रयास के बाद इन स्कूलों में 15 से अधिक बच्चों को स्कूल नहीं लाया जा सका।
7 बच्चे पर एक शिक्षक
हनुमंतिया प्राथमिक विद्यालय, गरोठ स्थित स्टेशन रोड प्राथमिक विद्यालय, करेलिया प्राथमिक विद्यालय और मंदसौर स्थित संस्कृत शाला स्कूल कागजों में चल रहे हैं। यहां एक भी बच्चा नहीं है। अन्य स्कूलों में 9 से 19 बच्चे पढ़ रहे हैं। 3255 बच्चों के मान से सात बच्चों पर एक शिक्षक कार्यरत है जबकि न्यूनतम 35 बच्चों पर एक शिक्षक रखने की पात्रता है। इसके अलावा कुल 1299 प्राथमिक विद्यालय में सिर्फ 6 स्कूल ऐसे हैं जहां बच्चों की संख्या 100 से अधिक है।
आंकड़े दिखा रहे परिणाम
प्राथमिक विद्यालय की अपेक्षा माध्यमिक विद्यालय में आधे से भी कम बच्चे हैं। मतलब जो बच्चे प्राथमिक विद्यालय में दर्ज किए जा रहे हैं, वे माध्यमिक विद्यालय तक नहीं पहुंच रहे हैं। प्राथमिक विद्यालय में वर्ष 2011-12 में बच्चों की संख्या 1.25 लाख से ज्यादा थी तो अभी माध्यमिक विद्यालय में बच्चों की संख्या इसके आसपास ही होना चाहिए। वर्तमान में माध्यमिक विद्यालयों में 46,795 बच्चे दर्ज है। करीब 80 हजार बच्चे माध्यमिक विद्यालयों तक पहुंचे ही नहीं हैं।
जानकारी दी है
217 स्कूलों में 20 से कम बच्चे हैं। इस संबंध में शासन ने जानकारी मांगी थी। जिसे हम भेज चुके हैं, अभी तक कोई निर्देश नहीं मिले हैं। शासन के निर्देशानुसार काम किया जाएगा।
-अनिल भट्ट
परियोजना अधिकारी
जिला शिक्षा केंद्र, मंदसौर
इस तरह होता है स्कूलों पर खर्च
(एक स्कूल पर)
शिक्षक की तनख्वाह : 5 हजार से 40 हजार प्रति शिक्षक प्रतिमाह
मध्यान्ह भोजन पर खर्च : 3.76 रुपए प्रति विद्यार्थी प्रतिदिन
आकस्मिक निधि : 5 हजार रुपए सालाना प्रति स्कूल
गणवेश : 400 रुपए प्रति विद्यार्थी
किताबें : 100 से 300 रुपए प्रति विद्यार्थी
छात्रवृत्ति : तीसरी कक्षा के बाद वर्ग के अनुसार
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