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बाजार के प्रश्नपत्रों से हो रही शासकीय स्कूलों की वार्षिक परीक्षाएं

गांधीग्राम। एक तरफ शासकीय शालाओं का स्तर सुधारने और यहां प्रवेश दिलाने शिक्षक और अध्यापक संघ द्वारा अभिभावकों को इस बात के लिए प्रेरित किया जा रहा है कि वे अपने बच्चों को शासकीय स्कूलों में प्रवेश दिलाएं। दूसरी तरफ जिम्मेदार महकमा परीक्षा जैसे महत्वपूर्ण कामों में हद दर्जे की लापरवाही बरत रहा है।
बताया गया है कि यहां कक्षा 1ली से 4थी और 6वीं से 7वीं की तक छात्रों की परीक्षा के लिए बाजार से रेडीमेड प्रश्नपत्र खरीदे गए हैं। इससे परीक्षा की गोपनीयता पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। शिक्षा विभाग ने पहले ही निर्देश दिए थे कि पेपर शिक्षक स्वयं तैयार करके परीक्षा कराएं। बावजूद इसके न सिर्फ गांधीग्राम बल्कि जिले के अधिकांश स्कूलों में बाजार से खरीदे गए पेपरों से परीक्षाएं संचालित कराई जा रही हैं।
शासकीय शालाओं में कक्षा 1से लेकर 4 तक व कक्षा 6वीं, 7वीं की वार्षिक परीक्षाएं 5अप्रैल से आरंभ हो गईं हैं। पहले प्रश्नपत्र में शिक्षकों की कारगुजारियां सामने आ गई हैं। शालाओं ने विभाग के तमाम नियमों को दरकिनार करते हुए बाजार से प्रश्नपत्र खरीदकर परीक्षाएं संचालित कर रहे हैं।
बाजार से आ गये प्रश्न पत्र
शासकीय शालाओं के प्रधानाध्यापकों ने प्रश्नपत्रों के बण्डल बाजार से लाकर स्कूलों में रख लिए हैं। उन्ही प्रश्नपत्रों से वार्षिक परीक्षा कराई जा रही है। सबसे मुख्य बात यह है कि जिन प्रश्नपत्रों से परीक्षा ली जा रही है वे बहुत आसानी से बाजार में उपलब्ध हैं। बच्चे भी इन्हें खरीद रहे हैं।
प्रश्नपत्र मुद्रण के लिये मिलती है राशि
राज्य शिक्षा केन्द्र के पत्र क्रमांक-रा.शि.के./मूल्य./2016/2024 के अनुसार प्रश्नपत्रों, उत्तर पुस्तिकाओं, प्रगतिपत्रक के लिए कक्षा 1,2 के लिए 5 रुपये, कक्षा 3, 4 के लिए 6 रुपये, कक्षा 6,7 के लिए 9 रूपये प्रति विद्यार्थी के मान से राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा शाला प्रबन्धन समिति के खातों में जारी की है।
यहां हो रहा पैसों का खेल
प्रश्नपत्रों के मुद्रण, प्रगति पत्रक के मुद्रण में जारी की गयी राशि से अपेक्षाकृत अधिक खर्च आता है, जबकि बाजार से खरीदे गये प्रश्नपत्रों, प्रगति पत्रक बहुत ही सस्ते दाम में उपलब्ध हो जाते हैं।
बहरहाल कुछ भी हो पर बाजार से खरीदे गए प्रश्नपत्रों से न केवल परीक्षा की गोपनीयता भंग हो रही है बल्कि परीक्षा जैसा गंभीर काम उपहास का विषय बन गया है।
फिर भी नहीं लिया संज्ञान
खास बात यह है कि परीक्षाएं आरंभ होने के करीब एक पखवाड़े पूर्व दिनांक 18 मार्च को नईदुनिया ने बाजार में मिल रहे प्रश्नपत्रों की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इस पर एपीसी आकादमिक जिला शिक्षा केन्द्र, जबलपुर घनश्याम बर्मन से चर्चा की गई थी। उनका कहना था कि निर्देशों का पालन न करने पर व इस संबंध में शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूद न तो शालाओं ने इस बात की परवाह न की और न ही विभाग ने इस पर कोई संज्ञान लिया।
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स्कूलों को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि वे स्वयं पेपर बनाकर बच्चों की परीक्षा लें। यदि बाजार के प्रश्नपत्रों का उपयोग किया जा रहा है तो इसकी जांच कराई जाएगी।
आर पी चतुर्वेदी. डीपीसी


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