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स्कूलों में अध्यापक ही नहीं हैं तो बच्चे कैसे सीखें हिंदी

हिंदी को बढ़ावा देने के दावे हर सरकारी मंच पर सुन सकते हैं। हकीकत सत्य से काफी परे है। जिले के सरकारी मिडिल स्कूलों और हाई स्कूलों में ही हिंदी के टीचर नहीं हैं। ऐसे में यहां वे शिक्षक हिंदी पढ़ा रहे हैं जिन्हें अन्य विषय में महारत है।

शिक्षा विभाग के मुताबिक जिले में 452 मिडिल व हाई स्कूल हैं। इनमें से 77 स्कूलों (68 मिडिल व 9 हाईस्कूल) में शिक्षकों की कमी हैं। यहां अतिथि शिक्षक या फिर गणित व अंग्रेजी के शिक्षक ही हिंदी भी पढ़ा रहे हैं। पिपलौदा ब्लॉक के 3 हाईस्कूलों में भी हिंदी के शिक्षक नहीं हैं। ये स्कूल हैं नांदलेटा, मामटखेडा़ और पंचेवा के। रतलाम, जावरा व आलोट की भी यही स्थिति है। 394 मिडिल स्कूलों में से 68 में हिंदी शिक्षक नहीं हैं। शिक्षा विभाग के सूत्रों की मानें तो सिर्फ रतलाम जिला ही नहीं बल्कि पूरे मध्यप्रदेश में ही हिंदी के 25 हजार शिक्षक कम हैं।

जिला शिक्षा अधिकारी अनिल वर्मा ने बताया हिंदी के शिक्षकों की कमी मिडिल व हाईस्कूल में है। शासन को अवगत कराया है।

यह है स्थिति

मिडिल स्कूल 394

शिक्षक नहीं 68 में

हाईस्कूल 58

शिक्षक नहीं 9 में

कुल स्कूल 452

शिक्षक नहीं 77 में
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