जिस प्रदेश में छात्र-छात्राओं को ही शिक्षक का किरदार निभाने पर मजबूर
होना पड़े तो प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था के हाल को बेहतर तरीके से समझा जा
सकता है ।
सर्व शिक्षा अभियान का मख़ौल उड़ाती तस्वीरें नरसिंहपुर जिले के
हिरणपुर हाईस्कूल से आई है, जहां बीते 3 सालों में एक भी शिक्षक नहीं होने
से बच्चों का भविष्य अंधकार के गर्त में समाता नजर आ रहा है। शिक्षा विभाग
ने करोड़ों की लागत से स्कूल की नई इमारत तो बना दी लेकिन एक अदद शिक्षक
की नियुक्ति बीते 3 सालों में नहीं कर सका है जिसके चलते बच्चों को ही खुद
पढ़ना पड़ता है। कभी वो खुद ही टीचर बन जाते हैं तो कभी छात्र
खुद छात्र-छात्रा बताते हैं कि उन्हें आपस में ही मिल-बैठकर पढ़ाई करनी
पड़ती है। एक भी टीचर नहीं होने के कारण बीते साल केवल मौट्रिक की परीक्षा
में 186 में से सिर्फ 11 बच्चे ही पास हो पाए थे और अब उन्हें अपने भविष्य
को लेकर भी फिक्र सताने लगी है क्योंकि प्राइमरी स्कूल के शिक्षक कभी कभार
तरस खाकर उन्हें पढ़ा तो देते हैं लेकिन सिर्फ दो ही विषय, अन्य विषयों की
पढ़ाई तो उन्हें खुद आपस में ही मिलकर करनी पड़ती है। बच्चों का कहना है
कि एक ओर तो प्रदेश के मुखिया मामा शिवराज सिंह चौहान पढ़ेगी बेटी तभी
बढ़ेगी बेटी का नारा देते हैं लेकिन उन्हीं के राज में उन्हीं की बेटियां
अपने भविष्य को अंधेरे में जाते देख रही हैं लेकिन सिवाय बेबसी के उनके पास
और कोई रास्ता भी नहीं है। यही वजह है कि ऐसे स्कूलों से छात्र-छात्राएं
पलायन को मजबूर हो रहे हैं
बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करते हुए भले ही शिक्षा विभाग को शर्म नहीं
आती हो लेकिन हिरणपुर के प्राथमिक स्कूल के शिक्षक लेखराम चौधरी को इस
स्थिति को देख कर बड़ी शर्म आती है तभी तो उन्होंने पहल करते हुए हाई स्कूल
के बच्चों को पढ़ाने की कोशिश की है। लेखराम चौधरी प्राथमिक स्कूल के
शिक्षक हैं फिर भी उनकी कोशिश रहती है कि किसी तरह कुछ समय निकालकर इन
बच्चों को भी शिक्षा के ज्ञान से रोशन कर सकें लेकिन विषयों में परांगत ना
होने के कारण वो केवल हिंदी और सामाजिक विज्ञान जैसे विषय ही बच्चों को
पढ़ा पाते हैं । लेकिन जिले का शिक्षा विभाग ने तो मानो बेशर्मी का लबादा
ही ओढ़ लिया है जिले के जिम्मेदार शिक्षा अधिकारी से जब हमने सवाल करना चाहा
तो पहले तो वह कैमरे के सामने कुछ भी कहने से इनकार करते नजर आए लेकिन फिर
बाद में वही वर्षों पुराना रटा-रटाया जवाब देते नजर आए कि जल्द ही
व्यवस्था की जा रही है लेकिन इन 3 सालों में क्यों व्यवस्था नहीं की गई
इनका उनके पास कोई जवाब नहीं
हाईस्कूल के पास ही हिरणपुर का प्राथमिक स्कूल भी है। एक और जहां एक
करोड़ की लागत से बना चमतमाता ये हाईस्कूल है, जो शिक्षक की कमी पर आंसू
बहा रहा है वहीं प्राथमिक स्कूल में एक शिक्षक तो है लेकिन ये स्कूल अपनी
जर्जर हाल पर रो रहा है। स्कूल की इमारत जर्जर हो गई है और छत से बरसात
में पानी टपकता है। बच्चों के अभिभावक अपने बच्चों को इस जर्जर प्राथमिक
स्कूल में भेजने से कतराते है। उन्हें डर है कि कहीं उनके बच्चों के साथ
कोई हादसा ना हो जाए। स्कूल के एकमात्र टीचर ने कई बार जिला शिक्षा
अधिकारी समेत प्रशासन के आला अधिकारियों से मरम्मत की गुहार लगाई लेकिन
किसी ने इस स्कूल की सुध नहीं ली
स्कूल चले अभियान की दुर्दशा की बयां करती ये दोनों स्कूल मध्यप्रदेश
सरकार की शिक्षा के प्रति संदीजगी पर सवाल उठा रही है। कही स्कूल बना तो
टीचर नहीं और कहीं टीचर है तो स्कूल की इमारत ऐसी कि यहां बच्चों को
सुरक्षित तरीके से पढ़ाया नहीं जा सकता। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
बच्चों के बेहतर भविष्य की बात करते हुए खुद को मामा शब्द से संबोधन कराते
नजर आते हैं लेकिन मामा के राज में ही उनके भांजे और भांजियां अपने भविष्य
को लेकर संघर्ष करते नजर आ रहे हैं। अब देखना है कि मामा अपने
भांजे-भांजियों की कब तक सुध लेते हैं